लड़कियां हैं सर! निर्दोष ही होंगी….

सर आपको एक कहानी सुनाता हूँ…

तीन लड़के हैं अतुल, रजत और चिराग. बड़े ही साधारण परिवारों से. ऐसा भी नहीं कि उन्हें खाने के लाले पड़ गए थे लेकिन पैसा जरूरतों के लिए पूरा पड़ जाता हो यह भी नहीं. तीनों लड़के मेहनत से पढ़े. और ठीक ठाक नौकरियों पर लग गए. और सर, प्राइवेट सेक्टर में तनख्वाह भी तो हाथ खींचकर ही दी जाती है. उस पर दिल्ली जैसे महानगर में रहने का खर्च. अतुल और रजत दिल्ली में बाहर से आये थे लेकिन चिराग का अपना घर दिल्ली में था फिर भी वह बाहर कमरा लेकर रहता है क्योंकि परिवार में रहने में अपनी बंदिशें हैं. तीनों कुंवारे, तीनों रूममेट. मस्ती स्वाभाविक थी. जो पैसा परिवार की जरूरतों में लगना था वह अंग्रेजी शराब में लगने लगा. ये जो अंग्रेजी शराब होती  है न सर, ये देसी लड़कों को बहका देती है. हो सकता है लड़के कभी कभार ड्रग्स भी लेते हों लेकिन उसकी जानकारी मुझे है नहीं सर तो झूठ नहीं बोलूँगा. रजत के संपर्क में एक लड़का आया, जो खुद को हरियाणा के एक बड़े पोलिटिशियन का बेटा बताता था. क्या मस्त गाडी थी उसकी. अरे गाड़ी छोडो, उसकी तो घडी भी तीनों लड़कों की दो महीने की तनख्वाह से कम नहीं होगी. रजत के लिए यह दोस्ती जैसे एक मौका थी. उसे यकीन था कि अब वह मिडिल क्लास से ऊपर उठने वाला है. खैर हरियाणवी साहब ने घूमने का प्लान बनाया. हरियाणवी, उसके दो दोस्त और हमारे तीनों लड़के शिमला पहुँच गए. मजा बहुत आया.

बड़ी गाडी, फ्री की शराब और लास्ट में एक महंगे रिजोर्ट में फ्री का स्टे. शिमला पहुंचने के दौरान बीयर पे बीयर खुलती रही. वे लगभग आधी रात रिजोर्ट में पहुंचे. सब लोग पहले ही कुछ ड्रिंक्स ले चुके थे और सुरूर काफी था. रिजोर्ट में पहुँचने के बाद कमरे बुक कराये गए. और एक कमरे में बैठ कर सब लोग ड्रिंक करने लगे. नशा बढ़ने लगा तो बात राजनीति की होने लगी. कुछ सख्त बातें हुई तो तल्खबयानी स्वाभाविक थी. बहस कडवी हुई तो हरियाणा के पोलिटिशियन साहब अपना आपा खो बैठे और मामला गाली गलौज तक आ गया. बात इतनी बढ़ी कि हरियाणवी बाबू ने चिराग के थप्पड़ लगा दिया. जवाब चिराग को भी देना ही था और कुछ ही देर में छः के छः गुत्थमगुत्था थे. बीयर की बोतलें और चखने की प्लेट्स हथियार बन गई तो खून आना स्वाभाविक था. पुलिस आई तो हरियाणवी बाबू ने अपने बाप का नाम बता दिया. पोलिटिशियन का बेटा था तो कानून तो मुट्ठी में होना ही था. मुकद्दमे बाजी हुई तो तीनों लड़कों पर बड़ी बड़ी धाराओं में केस डाल दिए गए. अटेम्प्ट टू मर्डर, ड्रग्स की डीलिंग और लड़कियां सप्लाई करने के चार्जेस उन पर नत्थी कर दिए गए.

बेवजह जरा से लालच में तीनों लड़के मारे गये सर. गरीब परिवारों के लड़के थे. मस्ती का मौका मिला था तो लपक लिया. क्या हुआ अगर मस्ती करवाने वाले को वे अच्छे से जानते नहीं थे? क्या उन्हें किसी दूसरे के पैसे पर मस्ती का हक़ नहीं है?

क्या कहा आपने?

नहीं है?

क्या बात कर रहे हैं सर!

उनके परिवार?

माँ बाप की उन्हें लेकर पाले गए सपने?

परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी?

क्या बात कर रहे हो सर. ये मस्ती तो हक़ है उनका.

नहीं?

अच्छा एक मिनट रुको.

इसी कहानी को नए तरीके से सुनो. ये जो तीन लड़के थे न सर, इनकी जगह तीन लड़कियां रख लीजिये. बाकि सब सेम है. साधारण परिवारों की लड़कियां, दिल्ल्ली में घर होते हुए अलग रहना. अनजान लड़के. बड़ी गाडी. फ्री की शराब. पहली मुलाक़ात. आधी रात रिजोर्ट का स्टे. पूरा नशा. बहस बाजी. बस बहस बाजी पोलिटिक्स पर नहीं हुई थी. हुआ क्या था कि जब इतना सब हो गया तो लड़कों ने लड़कियों को टच करने की कोशिश की. लड़की ने मना किया. लड़का नहीं माना. तो लड़की ने शराब की बोतल उसके सर पर दे मारी. बाकि सब सेम है. पुलिस भी आई. केस भी दर्ज हुए.

अब बताइए सर.

लड़कियां अपनी औकात से बाहर, अपने परिवार से दूर, अनजान लड़कों के साथ शराब पीते हुए आधी रात को उनके साथ एक रिजोर्ट में रुकी. इसमे गलत क्या है? लड़के अपराधी प्रवत्ति के थे तो इसमे लड़कियों का क्या दोष? वे तो किसी के भी साथ जा सकती हैं न सर! आखिर वे लड़कियां हैं. है न?

हाँजी. सर! वही तो मैं कह रहा था कि लड़कियां निर्दोष हैं.

बाकी सर आप तो मास्टर हो. तभी तो आपकी ‘पिंक’ हिट हो गई.

सर आपने फिल्म में हर वो चीज दिखाई जो लड़कियों को मासूम साबित करे क्योंकि आपको तो फिल्म चलानी थी. इतनी हिम्मत थी जो जरा फिल्म में यह भी दिखाते की जब तीनों लड़कियों के माँ बाप को पता लगा कि उनकी लड़कियां अनजान लड़कों के साथ पकड़ी गई और अब थाने में है तो उन्हें कितनी ख़ुशी हुई?

जरा यह भी तो कह देते कि चाहे वह लड़का हो या लड़की, अपने परिवार की आर्थिक स्थिति का ध्यान न रखते हुए मस्ती करे. शराब पिए. रॉक शो में जाये. गाडी अपनी न हो तो भी जिसके पास बड़ी गाडी हो उसमे लटक ले. शराब फ्री की मिल जाये तो अनजान लोगों के बारे में जाने बिना उनके साथ घूमने फिरने चल दे.

आप जरा यह भी कह देते कि हमारे समाज में सबको हक़ है कि वह किसी भी आपराधिक प्रवित्ति के साथ कहीं भी जा सकता है. और यह आपराधिक प्रवित्ति के व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह अपराध न करे. सर इस लोजिक से तो बहुत मजा आएगा कसम से. मैं तो हर उस इलाके में रात को सोने की पोटली लेकर छनकाता हुआ जाऊंगा जहाँ चोर उचक्कों के होने का डर है. आखिर अपराध न करना तो उनकी जिम्मेदारी है न. पर क्या करूँ सर न तो सोने के सिक्कों की पोटली है न ऐसा लोजिक है.

ये तो हमारे ही माँ बाप पागल थे जो गलत लोगों से दूर रहने की सलाह देते थे. आप अपने बच्चों के साथ ऐसा मत कीजियेगा सर. आखिर पैसे के नशे में चूर लड़कों के साथ हमारे बच्चे नहीं घूमेंगे तो मस्ती कैसे करेंगे? और वैसे भी… why should boys have all the fun?

सर मेरा भी एक बच्चा है चार साल का. मैं बेवजह उसे अकेले इधर उधर जाने से रोकता था. अब तो सब जगह उसे अकेला ही भेजूंगा. आखिर उसे बचाना तो किडनैपर की जिम्मेदारी है न सर.

लेकिन इमानदारी से बताइए अगर आपकी फिल्म की मुख्य किरदार लड़कियां न होती क्या तब भी आप उन्हें निर्दोष कहते?

क्या कह रहे हैं?

ये सवाल नहीं पूछना?

क्यों?

महिला अधिकारों का हनन है?

ठीक है सर. चलता हूँ. लेकिन सर कभी नींद से जागें तो दहेज़ बलात्कार कानून के दुरूपयोग पर भी एक फिल्म बना दीजियेगा.

नहीं बनायेंगे? ठीक है सर. मर्जी है आपकी. वैसे भी ये मामला फर्जी महिला समानता जितना रोमांटिक भी तो नहीं.

About Satish Sharma 44 Articles
Practising CA. Independent columnist in News Papers. Worked as an editor in Awaz Aapki, an independent media. Taken part in Anna Andolan. Currently living in Roorkee, Uttarakhand.

24 Comments

  1. Bhaiya mne film to nhi dekhi but apke samjhane ka tareeka hr baar ki trh bhut prabhav shali h

    And when both boys and girls are equal then rules and emotions attached to them should be equal also

  2. Good write up.present law is in favour of females .Some females take d advantage.lakin aap sach ko bhi nahi jhuthla sakte ic tarh ke cases girls ke sath jiyada hote hain.boys n girls of any economic strata of society r not in control of parents in present time .sab hasiat se bahar hi rahte hain. agar ic tarh ki sheh (encouragement) milegi toh Yeh kiya karenge.only God knows.
    App ki tarah mene bhi ek bar comment kar diya jab ek ladhki cab mein so(sleep)
    gayi thee bangalore mein aur driver ne kuch batmeeji ki thee.
    Mene itna hi likha thaa that every day we watch n read d news so many mishappenings taking place ,she should not goto sleep. we hv to protect ourselves in this environment.
    Many modern girls reacted in a negative manner to my comment.leave other comments those tagged me as conservative old lady without knowing me.bcs definition of being modern has changed in a worst manner.
    One girl wrote “she was not travelling free in taxi , she paid for it.what nonsense u hv writen.having nap is her right”
    I replied ” u stay in a rented house or in ur own home where u hv paid rent or spend lakhs but when u go to sleep u lock d house from inside n almost every member of d family make sure , it’s locked. why ? Give me ans. “There was no answer later on .
    So u ll also not going get d answer .

  3. Kuchh baat aapki bhi sahi hai. Par ye toh aap bhi maante honge ki hamaare samaaj mein ladke aur ladkiyon ko same incident mein alag alag nazariye se dekha jaata hai.

  4. बहुत खूब लिखा जिसे समझ आजायेगा वो इस पिंक शिंक से प्रभावित होने वाला नहीं है वो आज भी अपनी सुरक्षा का ख़याल खुद करेगा ना कि pink देखेगा और कानून पर आश्रित रहेगा जिसे समझ आगया वो भाई आपको पूरा समर्थन देंगे बाक़ी बचे लोग pogo देखो

  5. Disagree! A guy hitting a guy because of bad words can’t be compared with a girl hitting a guy because he is trying to rape her. This movie is based on one incident which is related to modern independent girls. You cant disagree with the facts shown in this movie.Those girls accepted their mistake in the court that they shouldn’t have gone with them. but does that mistake allow a guy to rape her? aapki kahani alag hai iss kahani se Sir!

    • shut up…dnt try to be over smart…ajkal female empowerment hypocritical hae..natak mat karo jyada…rape hamesha rape nahi hota…kai ghatna ko rape ki tarah dikhaya jata hae..kyuki rape banana asan hae…

    • Excuse me mam allow to ye bi ni tha ki aap ghar hote huye bi ghar se durr raho. Fir bi rahi naa. Lekin jab aap apni safety khud karne ke kabil nahi ho to jati hi ku ho kahi nit me. N bas aap kogo ko to equality leni h boys se. Ki boys jaa sakte hain hum ku nahi. Are boys apni safety khud kar sakte hain. Aur agar unke sath kuch ho bi jaye to unhe khud handle karna ata hai. Ye nahi ki chillate firen hamara rape ho gaya hamara rape ho gaya. Are yaaar sahi samjhaya ek bhai ne mere pas pesa h to me aise area se jana avoid karunga naa jaha chor lutere hon. Yaa waha se guzarne ke baad ye chillata firunga ki yaar mera jana to mera haq tha choro ko aisa nahi karna chahiye tha. Henaaa??? Pehle independenrability lao apne me girls then equality ka socho boys se.

  6. In this movie girls cheat girls and make the happing story and most of power of girl accept there mistake Or cheat only final have no idea what happen if party attend.
    To Bhaiyo aur Bahno aap sab se vinti hai film se kuchh sikhe aur dusaro ko bhi sikhaye

  7. Aapne prove kardiya chahe jitna hi woman empowerment ka nara lage aap unhe ghar k char divari ke bich me hi dekhna pasand karenge. And many men will support ur good words. Ladki kahi jaye na jaye woh samaj ki nahi uski apni marzi se hona chahiye. Aur maa papa bure logo se dur rahne ka sujhav to denge hi. Unhe aap jaiso ka pahle se hi pata hai. Ye film ki story iss tarah ki thi… But can you deny the fact that many more women has to travel to keep their family well or to survive. And circumstances become similar. Do we have boys to resist their libido considering the girls situation. Your writing was just a voice of male dominating society where even your sister is not safe. Mind that.

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  9. दरअसल फिल्म का अंत बदला गया था. पहले फिल्म में इनको सजा मिलनी थी पर फिल्म रिलीज़ से कुछ दिन पहले अंत को दुबारा शूट किया गया नहीं तो फिल्म हिट नहीं होती.

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